Sunday, 20 May 2012





 ...पलकों में बंद..
...शबनम जितनी..

..मैं..
तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी का..
एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा भर हूँ..

कोरा होना मेरा
जितना संगीन था
लफ़्ज़ों के शोर में
दिल बहुत रंगीन था
उन्ही रंगों से आज
रूह मेरी छंट गयी!

Sunday, 22 January 2012

दर्द


दर्द इस तरह जिंदगी में घुल जाता है कि  

जिंदगी का दूसरा नाम दर्द हो जाता है।  

मगर दर्द का मरने से पहले कोई इलाज नहीं। 
  
जिंदगी का मतलब है दर्द के पिंजरे में पूरी हयात का कैद रहना।

इस तरह वे दर्द को अपनी तकदीर समझ कर उसे अपनालेतेहैं।  

मगर हर बार गम बर्दाश् कर पाना संभाव नहीं होता।  

हर बार दिल को तसल्ली नहीं दी जा सकती।  

आखिर दिल दिल है, पत्थर तो नहीं।

''तुम मेरे पास होते हो मोया जब कोई दूसरा नहीं होता''