दर्द इस तरह जिंदगी में घुल जाता है कि
जिंदगी का दूसरा नाम दर्द हो जाता है।
मगर दर्द का मरने से पहले कोई इलाज नहीं।
जिंदगी का मतलब है दर्द के पिंजरे में पूरी हयात का कैद रहना।
इस तरह वे दर्द को अपनी तकदीर समझ कर उसे अपनालेतेहैं।
मगर हर बार गम बर्दाश्त कर पाना संभाव नहीं होता।
हर बार दिल को तसल्ली नहीं दी जा सकती।
आखिर दिल दिल है, पत्थर तो नहीं।
bahut achha likha hai Raaj
ReplyDeleteshubhkamnayen